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आंखों की रोशनी को चुपके से चुरा रही है ये बीमारी, कुछ चीजें खाकर कर सकते हैं इलाज

20 April, 2024, 12:09 PM

आंखों की रोशनी को चुपके से चुरा रही है ये बीमारी, कुछ चीजें खाकर कर सकते हैं इलाज

Glaucoma Symptoms and Treatment: आंखों की रोशनी चले जाना दुनिया खो देने जैसा है। इसमें आपको रोजमर्रा की जिंदगी भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। ग्लूकोमा को आंखों की रोशनी चुराने वाली बीमारी कही जाती है। आइए जानते हैं कि क्या खाने से ग्लूकोमा से बचा जा सकता है।
ग्लूकोमा को अक्सर आंखों की रोशनी चुराने वाला चोर कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे हमेशा के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है। यह बीमारी शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ती है और इसके लक्षण भी धीरे-धीरे ही नजर आते हैं। इस वजह से लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें ग्लूकोमा है और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हालांकि, इस स्थिति को मैनेज किया जा सकता है और आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।

ग्लूकोमा के लक्षण और संकेत
ग्लूकोमा के शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, तो बाहरी हिस्से से दिखने वाला नजारा कम होने लगता है। अगर इलाज न कराया जाए तो पूरी तरह से आंखों की रोशनी जा सकती है।
सुरंग जैसा दिखाई देता है
धुंधला दिखाई देता है
रोशनी के आसपास हल्का प्रकाश का घेरा दिखाई देता है

ग्लूकोमा का कारण
ग्लूकोमा का मुख्य कारण आंखों के अंदर तरल पदार्थ का दबाव बढ़ जाना है, जिससे समय के साथ ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच सकता है। यह दबाव आमतौर पर एक तरल पदार्थ एक्वियस ह्यूमर के जमने की वजह से बढ़ जाता है। यह तरल पदार्थ आंखों के अंदर ही घूमता रहता है। ट्रैबेक्युलर मेशवर्क के द्वारा यह तरल पदार्थ बाहर निकलता रहता है, लेकिन जब यह ठीक से बाहर नहीं निकल पाता है, तो आंखों के अंदर दबाव बढ़ जाता है।

बीमारी का खतरा ऐसे बढ़ता है
ग्लूकोमा के होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें परिवार में किसी को यह बीमारी होना, उम्र, वंश (खासकर अफ्रीकी या हिस्पैनिक मूल के लोग), कुछ बीमारियां जैसे कि मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर और आंखों में चोट लगना या ऑपरेशन होना शामिल है।

गिंगको बिलोबा
शोध के मुताबिक ग्लूकोमा के लिए एक प्राकृतिक इलाज गिंगको बिलोबा है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो फायदेमंद हो सकते हैं। यह कोशिकाओं की झिल्ली को मजबूत और सुरक्षित बनाकर आंखों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से होने वाले नुकसान से बचा सकता है। इसके अलावा इसमें वासोडिलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो नर्व्स की सुरक्षा करते हैं और ग्लूकोमा के इलाज में मदद कर सकते हैं।

पत्तेदार सब्जियों की ताकत
पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। इनमें विटामिन ए, सी, के और नाइट्रेट जैसे जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने में मदद करते हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड आंखों के अंदर तरल पदार्थ एक्वियस ह्यूमर को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे आंखों के अंदर दबाव नियंत्रित रहता है।
ग्लूकोमा की बीमारी को मैनेज करने के लिए अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। इससे नाइट्रिक ऑक्साइड का लेवल सही रहने में मदद मिलेगी और आंखों की सेहत अच्छी बनी रहेगी।

ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का कमाल
मछली के तेल और अलसी के बीजों में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड्स सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये फैटी एसिड्स ग्लूकोमा में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स आंखों के अंदर रेटिना में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी का काम करते हैं, जिससे आंखों की सेहत अच्छी रहती है।

हालांकि फायदा उठाने के लिए शरीर में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। आप चाहें तो इन फैटी एसिड्स की गोलियां भी खा सकते हैं, लेकिन मात्रा का ध्यान रखें। ज्यादा मात्रा लेने से नुकसान हो सकता है।

आंखों के लिए जरूरी विटामिन
विटामिन A, B और C आंखों के काम करने के लिए बहुत जरूरी होते हैं और आंखों को ऑक्सीडेटिव नुकसान से बचाते हैं। विटामिन A खासतौर पर रेटिना के लिए जरूरी होता है और ग्लूकोमा को बढ़ने से रोक सकता है। इसी तरह, विटामिन B शरीर में होमोसिस्टीन कंपाउंड के लेवल को सही रखता है।

होमोसिस्टीन का लेवल ज्यादा होने से रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है। विटामिन C एक एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करता है। आंखों की सेहत के लिए इन विटामिनों को सही मात्रा में लेना जरूरी होता है। ज्यादा मात्रा लेने से भी नुकसान हो सकता है।











Source:

https://navbharattimes.indiatimes.com/lifestyle/health/glaucoma-is-the-silent-killer-of-eyesight-and-vision-know-foods-to-eat/articleshow/109439051.cms
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